Thursday, February 5, 2009

Craft व बाल केंद्रों की ग्रांट बंद

नारी सशक्तिकरण वर्ष खत्म होते ही प्रदेश सरकार ने ग्रामीण इलाकों में चल रहे महिला Craft Center व Child Center की अनुदान राशि बंद कर दी है। राज्य के 33 बाल केंद्रों और 29 महिला क्राफ्ट सेंटरों को एक साल से अनुदान का एक रुपया भी हासिल नहीं हुआ है। अनुदान नहीं मिलने के बावजूद हालांकि कोई सेंटर बंद नहीं हुआ, लेकिन सुविधाओं के नाम पर इनमें मात्र खानापूर्ति की जा रही है। महिला एवं बाल कल्याण विभाग के तहत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में 29 क्राफ्ट सेंटर और 33 क्रैच काम कर रहे हैं। इनकी देखभाल के लिए अलग से भारतीय ग्रामीण महिला संघ बनाया गया है। ग्रामीण महिला संघ को केंद्र व राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त है। क्राफ्ट सेंटर पर महिलाओं को हस्त शिल्पकला का प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि ग्रामीण क्रैच में पांच साल तक के बच्चों को रखे जाने का प्रावधान है। इन सेंटर को राज्य सरकार ने अनुदान राशि देना बंद कर दिया है। महिला क्राफ्ट सेंटरों को एक साल से तथा बाल केंद्रों को दो साल से अनुदान राशि नहीं मिल रही है। अनुदान बंद होने के कारण देहात में संचालित यह केंद्र औपचारिकता बनकर रह गए हैं। सरकार की अनदेखी का असर यह हुआ कि इस बार क्राफ्ट व बाल केंद्रों के संचालन के लिए मात्र 37 लाख रुपये का बजट तैयार किया गया है। भारतीय ग्रामीण महिला संघ की आयोजन सचिव प्रतिमा के अनुसार बजट की कमी के चलते क्राफ्ट सेंटरों व बाल केंद्रों के संचालन में कोई कमी नहीं आने दी जा रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि इन दोनों केंद्रों के प्रति राज्य सरकार का रवैया उदासीन है। फतेहाबाद व सिरसा में दो परिवार परामर्श केंद्रों के बेहतर संचालन का दावा करते हुए प्रतिमा ने बताया कि एक अप्रैल से पंचकूला के रामगढ़ में फ्लोरी-कल्चर व वर्मी कंपोस्ट बनाने की नर्सरी आरंभ की जाएगी। फतेहाबाद में कंप्यूटर सेंटर और करनाल में ब्यूटीशियन ट्रेनिंग सेंटर खोले जाने की योजना है।

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