भिवानी के मुंढाल खुर्द निवासी जोगेंद्र ने किया कमाल
भिवानी - मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है। यह बात पूरी तरह चरितार्थ होती है छोटी काशी के नाम से मशहूर भिवानी के गांव मुंढाल खुर्द निवासी जोगेंद्र सिंह जांगड़ा पर। उन्होंने एक ऐसा इलेक्ट्रानिक पंखा बनाया है जो हवा भी देता है। उसका दावा है कि यह दुनिया का सबसे छोटा पंखा है। मात्र एक इंच ऊंचाई वाला यह पंखा 15 मिलीमीटर चौड़ा है। घर में रखी बेकार सामान की बदौलत इस पंखे ने आकार लिया है। जोगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस पंखे को बनाने का विचार उन्हें उस वक्त आया जब उन्हें मोबाइल में वाइब्रेशन के लिए प्रयुक्त होने वाली एक मोटर मिली। इसके बाद शुरू हुआ कल्पना को मूर्त रूप देने का दौर, इसमें स्टेपलर की पिनों की सहायता के पंखे का जाल बनाया गया। साधारण एल्युमिनियम की प्लेट काट कर पंखे की ताडिय़ां बनाई गई। इसके साथ ही कुछ कलपुर्जे दीवार घड़ी के लिए गए। पूर्ण रूप से तैयार होने के बाद जब इसे ऑन किया तो इसने अपनी क्षमता के अनुरूप हवा देनी शुरू की। जो भी इस पंखे को देखता है वह दांतों तले उंगली दबा लेता है। फाइन आर्टस से बीए व एमए करने वाले कलाकार जोगेंद्र द्वारा बनाए गए लकड़ी के जूतों को राजस्थान ललित कला अकादमी जयपुऱ द्वारा आयोजित कला प्रदर्शनी में राज्यभर मेें माई शूज को प्रथम पुरस्कार मिला है। ये शूज शीशम की लकड़ी से बनाए गए हैं। एक प्रदर्शनी में रखे इन जूतों को देखकर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी अजय जडेजा व उनकी सास जया जेटली भी हैरान रह गए थे।
भिवानी - मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है। यह बात पूरी तरह चरितार्थ होती है छोटी काशी के नाम से मशहूर भिवानी के गांव मुंढाल खुर्द निवासी जोगेंद्र सिंह जांगड़ा पर। उन्होंने एक ऐसा इलेक्ट्रानिक पंखा बनाया है जो हवा भी देता है। उसका दावा है कि यह दुनिया का सबसे छोटा पंखा है। मात्र एक इंच ऊंचाई वाला यह पंखा 15 मिलीमीटर चौड़ा है। घर में रखी बेकार सामान की बदौलत इस पंखे ने आकार लिया है। जोगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस पंखे को बनाने का विचार उन्हें उस वक्त आया जब उन्हें मोबाइल में वाइब्रेशन के लिए प्रयुक्त होने वाली एक मोटर मिली। इसके बाद शुरू हुआ कल्पना को मूर्त रूप देने का दौर, इसमें स्टेपलर की पिनों की सहायता के पंखे का जाल बनाया गया। साधारण एल्युमिनियम की प्लेट काट कर पंखे की ताडिय़ां बनाई गई। इसके साथ ही कुछ कलपुर्जे दीवार घड़ी के लिए गए। पूर्ण रूप से तैयार होने के बाद जब इसे ऑन किया तो इसने अपनी क्षमता के अनुरूप हवा देनी शुरू की। जो भी इस पंखे को देखता है वह दांतों तले उंगली दबा लेता है। फाइन आर्टस से बीए व एमए करने वाले कलाकार जोगेंद्र द्वारा बनाए गए लकड़ी के जूतों को राजस्थान ललित कला अकादमी जयपुऱ द्वारा आयोजित कला प्रदर्शनी में राज्यभर मेें माई शूज को प्रथम पुरस्कार मिला है। ये शूज शीशम की लकड़ी से बनाए गए हैं। एक प्रदर्शनी में रखे इन जूतों को देखकर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी अजय जडेजा व उनकी सास जया जेटली भी हैरान रह गए थे।
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