Thursday, May 28, 2009

Haryana से Sailja

अम्बाला से सांसद कुमारी शैलजा को मनमोहन के कैबिनेट में जगह मिली है। उन्हें प्रमोशन मिली है। मनमोहन की पहली पारी में वह राज्यमंत्री थी, इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
पिछली सरकार में रक्षा राज्यमंत्री रहे राव इन्द्रजीत को इस बार लाल बत्ती नहीं मिली।
इसके आलावा सीएम हुड्डा के बेटे दीपेन्द्र हुड्डा और नवीन जिंदल भी मंत्री पड़ की दौड़ में थे। उन्हें भी निराशा ही मिली।

Wednesday, May 27, 2009

11 वर्षो बाद मिला हिस्से का नहरी पानी



गांव सिंहपुरा के ग्रामीणों व युवाओं के संघर्ष से यहां की बंजर पड़ी भूमि को 11 वर्षो बाद नहरी पानी नसीब हुआ है। यह पानी पंजाब के किसानों ने माइनर में बाधाएं डालकर रोका हुआ था। अदालत के आदेश बाद गांव वालों को उनका हक मिला है। पंजाब राज्य की सीमा से सटे हरियाणा के गांव सिंहपुरा की लगभग दो हजार एकड़ भूमि को पंजाब की कोटला ब्रांच नहर के माइनर से पानी पिछले 100 वर्षो से मिल रहा था। फरवरी 1998 में पंजाब के तत्कालीन सिंचाई मंत्री की सिफारिश पर सिंचाई विभाग मानसा के कार्यकारी अभियंता ने पूरे माइनर में आठ स्थानों पर 60-60 फुट लंबे व डेढ़ फुट ऊंचे ब्रेकर बनाने के आदेश दे दिए। इस संबंध में पंजाब के सिंचाई विभाग ने हरियाणा से कोई बात नहीं की। इसके बाद पंजाब के किसानों ने माइनर में यह ब्रेकर बना दिए जिससे गांव सिंहपुरा को उसके हक का पानी मिलना बंद हो गया। गांव की टेल पर नाममात्र पानी ही पहुंच रहा था। पानी की कमी के कारण गांव की दो हजार एकड़ भूमि बंजर बन गई। वर्ष 2002 में गांव में गठित बाबा ज्ञानदास युवा क्लब से किसानों ने इस समस्या के समाधान कराने की गुहार लगाई। क्लब के सदस्यों मास्टर जगदीश सिंहपुरा, गुरदीप सिंह, गुरजंट सिंह ढिल्लो व बलजीत सिंह आदि ने ग्राम पंचायत के सहयोग से यह मामला अनेक बार सिंचाई विभाग मानसा के अधिकारियों के समक्ष उठाया लेकिन विभाग ने ध्यान नहीं दिया। क्लब ने जनवरी 2006 में अदालत में एक याचिका दायर कर दी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने 15 सितंबर 2008 को एक कमेटी गठित करने का आदेश दिया जिसमें सिंचाई विभाग, पटियाला के अधीक्षण अभियंता, कार्यकारी अभियंता मानसा व कार्यकारी अभियंता रोड़ी शामिल थे। इस कमेटी ने 15 दिसंबर 2008 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि माइनर के अंदर बनाए गए ब्रेकरों को हटाया जाना चाहिए। इसके बाद गांव के युवा क्लब के सदस्यों व किसानों ने सरपंच जसपाल की देखरेख में कोटला माइनर में बनाए गए ब्रेकरों को हटा दिया।

बिजली निगम के एआरआर में 400 करोड़ की कटौती

हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम (एचवीपीएनएल) के वार्षिक राजस्व रिपोर्ट (एआरआर) को 409 करोड़ का कट लगाकर मंजूरी मिली है। एचवीपीएनएल ने हरियाणा विद्युत नियामक आयोग 1064.51 करोड़ रुपये का एआरआर भेजा था पर इसमें से आयोग ने केवल 659.70 करोड़ रुपए को ही मंजूरी दी है। इसी प्रकार स्टेल लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) के 11.88 करोड़ के एआरआरी में से 7.80 करोड़ के बजट को मंजूरी मिली है। इसी प्रकार आयोग ने एचवीपीएनएल के बजट में 40 प्रतिशत की कटौती हो गई है। हरियाणा विद्युत नियामक आयोग के इस फैसले के खिलाफ एचवीपीएनएल पुनर्विचार याचिका डालने पर विचार कर रहा है और वहां पर भी राहत ना मिली तो ट्रिब्यूनल में भी जा सकता है। आयोग ने इस वित्त वर्ष की रिटर्न आन इक्विटी पूरी तरह से नामंजूर कर दी है। एआरआर के 14 प्रतिशत के हिसाब से यह 108 करोड़ थी। आयोग का कहना है कि जब विद्युत वितरण कंपनियां नुकसान में जा रही हैं, ऐसे में इन्हें रिटर्न आन इक्विटी देने का कोई औचित्य नहीं है। आयोग ने आय व लाभ पर 56.59 करोड़ रुपये के टैक्स को भी नामंजूर कर दिया है। आयोग ने 106 करोड़ के अन्य खर्च भी नामंजूर कर दिए हैं। कर्मचारियों के वेतन की 326.97 करोड़ की प्रस्तावित राशि के स्थान पर 286.97, छठे वेतन आयोग की सिफारिश के कारण वेतन वृद्धि की प्रस्तावित राशि 130.10 करोड़ को घटाकर 53.80 करोड़, रखरखाव खर्च की प्रस्तावित राशि को 14.62 करोड़ से घटाकर 13.70 करोड़ कर दिया है। इसी प्रकार आयोग ने एसएलडीसी के पूंजी खर्च पर ब्याज व वित्त शुल्क को 5 करोड़ से घटाकर 2 करोड़ कर दिया है। आयोग ने एचवीपीएनएल के साल 2008-09 के 740 करोड़ के प्रस्तावित एआरआर के मुकाबले केवल 540 करोड़ रुपये को ही मंजूरी दी थी, जिस पर एचवीपीएनएल ने पुनर्विचार याचिका डाली हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में एचवीपीएन के सामने कई संकट आएंगे। आयोग ने हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम के वर्ष 2009-10 के एआरआर में प्रति यूनिट 3 रुपये 89 पैसे प्रति यूनिट के दाम को घटाकर 3 रुपये 21 पैसे कर दिया है। पर उत्पादन निगम का घाटा उपभोक्ता पर सरका दिया जाता है, उस पर ज्यादा असर नहीं पड़ता।