Wednesday, October 28, 2009

हुड्डा ने पास की अग्निपरीक्षा

सात निर्दलीय विधायकों व एक बसपा विधायक के सहारे बुधवार को कांग्रेस ने सदन में अपना बहुमत साबित कर दिया। 90 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा रखे गए विश्वास प्रस्ताव को 47 विधायकों ने पहले तो ध्वनिमत से फिर मांग आने पर खड़े होकर अपना समर्थन दिया। इस तरह हुड्डा ने अपनी पहली अग्नि परीक्षा पास कर ली है।

इधर हजकां के छह विधायक शपथ लेने के बाद विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के बीच सदन से चले गए और लौट कर नहीं आए। यानि विश्वास मत के दौरान वे सदन में नहीं थे। हजकां विधायक दल के नेता कुलदीप बिश्नोई ने फोन पर बताया कि अभी हमारे सभी विकल्प खुले है। हम सरकार को भी समर्थन कर सकते है, इनेलो को भी और विपक्ष में भी बैठ सकते है। उन्होंने कहा कि समर्थन देने की हमारी कोई शर्त नहीं है हम केवल चाहते है कि जो वायदे चुनाव में हमने जनता से किए हैं वे पूरे हों।
विधानसभा चुनाव में कांग्र्रेस को 40, इनेलो-अकाली दल को 32, हजकां को छह, भाजपा को चार, निर्दलीय सात और बसपा को एक सीट मिली थी। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बहुमत के लिए 46 विधायकों का साथ चाहिए, क्योंकि चौटाला दो सीटों से जीते थे इसलिए सदन 89 सदस्यों का रह जाता है। इसलिए बहुमत के लिए 45 विधायक चाहिए थे, पर कांग्रेस ने 47 विधायकों के साथ बहुमत पेश कर दिया। राज्यपाल ने बड़ा दल होने के नाते कांग्रेस को बहुमत साबित करने के लिए सप्ताह का वक्त दिया था।
वैसे जरूरत पड़ती तो विधानसभा अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह चïट्ठा भी कांग्रेस के पक्ष में वोट कर सकते थे। इस प्रकार कांग्रेस के पास इस समय 48 का आंकड़ा है। विश्वास मत पर इनेलो विधायक दल और सत्ता पक्ष के बीच करीब एक घंटा बहस चलती रही। बीच-बीच में भाजपा के अनिल विज व कृष्णपाल गुज्जर भी बोलते रहे। शोर शराबे में विश्वास मत पर बहस नहीं हो पाई। आखिर में वोटिंग हो गई। चौटाला और भाजपा सदन को और दो-तीन दिन चलाने की मांग कर रहे थे। अंत में चौटाला ने वाटिंग की मांग की और उसे स्वीकार कर लिया गया।
कौन-कौन हैं साथ
कांग्रेस के 40 विधायकों के अलावा निर्दलीय विधायक प्रह्लïाद सिंह गिल्ला खेड़ा, गोपाल कांडा, सुखबीर कटारिया, जलेब खान, ओम प्रकाश जैन, सुलतान जडौला, शिवचरण शर्मा और बसपा विधायक अकरम खान ने सरकार के पक्ष में मतदान किया।


Sunday, October 25, 2009

हरियाणा के मुख्यमंत्री और उनके कार्यकाल

पं. भगवत दयाल शर्मा



01.11.1966 से 23.03.1967
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राव बीरेंद्र सिंह


24.03.1967 से 20.11.1967
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बंसी लाल
1. 22.05.1968 से 30.11.1975
2. 05.07.1985 से 19.06.1987
3. 11-05.1996 से 23.07.1999
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बनारसी दास गुप्ता


1. 01.12.1975 से 30.04.1977
2. 22.05.1990 से 12.07.1990
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चौधरी देवीलाल

1. 21.06.1977 से 28.06.1979
2. 17.07.1987 से 02.12.1989
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चौधरी भजनलाल

1. 29.06.1979 से 05.07.1985
2. 23.07.1991 से 09.05.1996
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ओमप्रकाश चौटाला

1. 02.12.1989 से 22.05.1990
2. 12.07.1990 से 17.07.1990
3. 24.07.1999 से 04.03.2005
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हुकम सिंह


1. 17.07.1990 से 21.03.1991
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भूपेंद्र सिंह हुड्डा


1. 05.03.2005 से 25.10.2009
2. 25.10.2009 से शुरू

Hooda ने बनाया नया रिकॉर्ड

सीएम की कुर्सी या कांटों का ताज
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सिर पर दूसरी बार मुख्यमंत्री का ताज रखा गया। राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिय़ा ने रविवार शाम उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उन्हें बहुमत साबित करने के लिए सात दिन का वक्त दिया गया है। पर इस बार मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी कांटों के ताज से कम नहीं है। निर्दलियों के समर्थन से चलने वाली अल्पमत सरकार को घेरने का विपक्ष कोई मौका नहीं चूकेगा। वहीं सहयोगी दलों से तालमेल बनाए रखना भी हुड्डा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। नवनिर्वाचित विधानसभा का पहला सत्र 28 व 29 अक्टूबर को होगा, जिसमें हुड्डा बहुमत साबित करेंगे। इसी बीच हजकां ने भी सरकार को समर्थन देने का फैसला कर लिया है। समर्थन की शर्तें क्या होंगी यह अभी तय नहीं हैं।
रविवार को राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिय़ा ने हरियाणा राजभवन में आयोजित समारोह में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री के पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। हुड्डा ने कांग्रेस पार्टी के तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों, हरियाणा मामलों के प्रभारी एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, कांग्रेस के महासचिव बीके हरि प्रसाद और मोहसिना किदवई की उपस्थिति में हिंदी में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।
सात निर्दलियों व बसपा के एक विधायक के बाद हजकां के समर्थन से सरकार को कुछ स्थायीत्व मिल गया है। शपथ ग्रहण समारोह में हुड्डा ने अकेले शपथ ग्रहण की। कहा जा रहा है कि आलाकमान से विचार-विमर्श के बाद वह जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। इसके अलावा कांग्रेस के सभी गुटों को खुश करने और हजकां और निर्दलियों को भी संतुष्ट करना भी चुनौती से कम नहीं है। प्रदेश में कुल 14 मंत्री बन सकते हैं और सभी निर्दलीय मंत्री पद पाने की जोड़-तोड़ में हैं। इनेलो के संपर्क में पूर्व से रहे तीन निर्दलियों को तो पहले विस्तार में मंत्री पद हर हाल में देना ही होगा। इसके अलावा रोहतक, झज्जर व सोनीपत से बाहर अपने प्रभाव का विस्तार करना भी हुड्डा के लिए चुनौती से कम नहीं है। इन चुनावों में एक बार फिर हुड्डा और कांग्रेस इन्हीं जिलों में सिमटते नजर आए।