Saturday, August 11, 2012

फिजा की रहस्यमय मौत

Fija found dead in her Mohali house on Aug 6 2012.

हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रमोहन के साथ शादी करके सुर्खियों में आईं अनुराधा बाली उर्फ फिजा (39) सोमवार सुबह अपने मोहाली स्थित आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गईं। फिजा अपने आवास में अकेले रहती थीं। सियासी चमक-दमक के बीच परवान चढ़े रिश्तों के दो दिन में इस दूसरे दुखांत ने हरियाणा के राजनीति में तूफान ला दिया है, राजनीतिक दल अब इसके नफा-नुकसान का आकलन कर आवाज उठा रहे हैं। रविवार को दिल्ली की एयर होस्टेस युवती गीतिका शर्मा की खुदकुशी और उससे जुड़े हरियाणा के मंत्री गोपाल गोयल कांडा के इस्तीफे की चर्चा अभी पुरजोर है कि चंडीगढ़ से सटे मोहाली में फिजा की संदिग्ध परिस्थितियों में लाश मिली है। उच्च राजनीतिक महात्वाकांक्षा वाली फिजा स्वर्गीय भजनलाल के बेटे चंद्रमोहन की जुदाई को बर्दाश्त न कर पाने की वजह से काफी समय से अवसाद में थीं। इसी स्थिति में उनकी अपने पड़ोसियों से भी नहीं बन रही थी। कॉलोनी के लोगों से उनका विवाद थाने तक पहुंचा था। मारपीट में चोटिल होने के कारण उन्हें एक बार अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ा था। लेकिन पुलिस को शव के आसपास बेडरूम में संघर्ष के निशान नहीं मिले हैं। मोहाली के एसएसपी जीएस भुल्लर के अनुसार घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट भी बरामद नहीं हुआ है। शव के पास से शराब की खाली शीशी-गिलास और सिगरेट का पैकेट मिला है।

Thursday, August 9, 2012

काली चालों के सहारे गोरों ने जीती खिताबी जंग


खिलाडिय़ों का प्रदर्शन बेहतर था पैरोकार कमजोर
अजय सैनी, भिवानी : खेलों को बढ़ावा देने का दावा करने वाली भारत सरकार लंदन में गोरों के सामने नतमस्तक हो गई। इसी कारण जीत कर भी भारतीय मुक्केबाज विकास यादव, सुमीत सांगवान व मनोज कुमार को हार का मुंह देखना पड़ा। हैरत की बात तो यह है कि कमजोर पैरवी के चलते नतीजा कुछ भी नहीं निकला। 69 किलो भार वर्ग के विकास यादव ने अमरीकी मुक्केबाज को 13-11 से पराजित कर अगले दौर में प्रवेश किया था लेकिन गोरों ने अपनी चाल  चली और भारतीय अधिकारी दम भी नहीं ले सके। पांच घंटे के अंतर के बाद जूरी ने विकास को अपनी कारस्तानी से हरा दिया। नियम के अनुसार प्रतिस्पर्धा के दौरान जूरी के पांच सदस्य, पांच निर्णायक, एक टाइमकीपर व एक रेफरी काम करते हैं। रेफरी की भूमिका सबसे अहम होती है। पांच निर्णायकों में से सबसे कम व अधिक अंक देने वालों को छोड़कर तीन जजों के अंकों के आधार फैसला लिया जाता है। विकास यादव को भले ही रिंग में रेफरी ने कहीं कोई चेतावनी न दी हो लेकिन अमरीकी अपील के सामने जूरी ने घुटने टेक दिए और रिप्ले देखकर विकास यादव को पराजित घोषित कर दिया। मजे की बात तो यह है कि भारतीय मुक्केबाज संघ के पदाधिकारी के रूप में ब्रिगेडियर मुरलीधरन राजा, भारतीय ओलंपिक संघ के विजय कुमार मल्होत्रा लंदन में ही जमे हुए हैं जिस समय विकास को लेकर फैसला हुआ उसके बाद भी उनकी पैरवी दमदार नहीं रही। ओलंपिक के इतिहास में शायद  पहली बार ऐसा हुआ है जब रिंग पर मुक्केबाज को विजेता घोषित करने के बाद फैसला बदला गया है। हो न हो लंदन ओलंपिक के इतिहास में एक काला अध्याय अवश्य जुड़ गया है। फिक्सिींग के मकडज़ाल में कुछ खिलाड़ी व अधिकारियों के नाम उजागर हुए हैं। इस बारे में बीबीसी के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक जगदीश सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जूरी मैच में खिलाडिय़ों के अंक का दोबारा योग कर सकती है। रिप्ले देखकर निर्णय देना तर्क संगत नहीं है। यह नियमों के खिलाफ है और रेफरी का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि लंदन में अमरीकी शिकायत पर जूरी ने रिचैकिंग कर निर्णय दिया है जो किसी के गले नहीं उतर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज परमजीत समौता के पिता प्रदीप समौता का कहना है कि एक साजिश के तहत गोरों ने भारतीय मुक्केबाज को प्रतिस्पर्धा से बाहर करने का काम किया है। सुमीत सांगवान व मनोज भी गोरों की साजिश का शिकार रिंग में बने लेकिन दर्शक दीर्घा में बैठे हजारों लोगों ने प्रतिद्वंद्वियों पर करारे पंच जमाने पर इन मुक्केबाजों का तालियोंं से उत्साहवर्धन किया। परंतु जो कुछ भी लंदन ओलंपिक में इन मुक्केबाजों के साथ हुआ वह खेल भावना का अपमान है। इसके लिए लंदन ओलंपिक हमेशा याद रखा जाएगा।


Monday, August 6, 2012

दुनिया का सबसे छोटा फैन बनाया

भिवानी के मुंढाल खुर्द निवासी जोगेंद्र ने किया कमाल
भिवानी - मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है। यह बात पूरी तरह चरितार्थ होती है छोटी काशी के नाम से मशहूर भिवानी के गांव मुंढाल खुर्द निवासी जोगेंद्र सिंह जांगड़ा पर। उन्होंने एक ऐसा इलेक्ट्रानिक पंखा बनाया है जो हवा भी देता है। उसका दावा है कि यह दुनिया का सबसे छोटा पंखा है। मात्र एक इंच ऊंचाई वाला यह पंखा 15 मिलीमीटर चौड़ा है। घर में रखी बेकार सामान की बदौलत इस पंखे ने आकार लिया है। जोगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस पंखे को बनाने का विचार उन्हें उस वक्त आया जब उन्हें मोबाइल में वाइब्रेशन के लिए प्रयुक्त होने वाली एक मोटर मिली। इसके बाद शुरू हुआ कल्पना को मूर्त रूप देने का दौर, इसमें स्टेपलर की पिनों की सहायता के पंखे का जाल बनाया गया। साधारण एल्युमिनियम की प्लेट काट कर पंखे की ताडिय़ां बनाई गई। इसके साथ ही कुछ कलपुर्जे दीवार घड़ी के लिए गए। पूर्ण रूप से तैयार होने के बाद जब इसे ऑन किया तो इसने अपनी क्षमता के अनुरूप हवा देनी शुरू की। जो भी इस पंखे को देखता है वह दांतों तले उंगली दबा लेता है।  फाइन आर्टस से बीए व एमए करने वाले कलाकार जोगेंद्र द्वारा बनाए गए लकड़ी के जूतों को राजस्थान ललित कला अकादमी जयपुऱ द्वारा आयोजित कला प्रदर्शनी में राज्यभर मेें माई शूज को प्रथम पुरस्कार मिला है। ये शूज शीशम की लकड़ी से बनाए गए हैं। एक प्रदर्शनी में रखे इन जूतों को देखकर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी अजय जडेजा व उनकी सास जया जेटली भी हैरान रह गए थे।