Thursday, August 9, 2012

काली चालों के सहारे गोरों ने जीती खिताबी जंग


खिलाडिय़ों का प्रदर्शन बेहतर था पैरोकार कमजोर
अजय सैनी, भिवानी : खेलों को बढ़ावा देने का दावा करने वाली भारत सरकार लंदन में गोरों के सामने नतमस्तक हो गई। इसी कारण जीत कर भी भारतीय मुक्केबाज विकास यादव, सुमीत सांगवान व मनोज कुमार को हार का मुंह देखना पड़ा। हैरत की बात तो यह है कि कमजोर पैरवी के चलते नतीजा कुछ भी नहीं निकला। 69 किलो भार वर्ग के विकास यादव ने अमरीकी मुक्केबाज को 13-11 से पराजित कर अगले दौर में प्रवेश किया था लेकिन गोरों ने अपनी चाल  चली और भारतीय अधिकारी दम भी नहीं ले सके। पांच घंटे के अंतर के बाद जूरी ने विकास को अपनी कारस्तानी से हरा दिया। नियम के अनुसार प्रतिस्पर्धा के दौरान जूरी के पांच सदस्य, पांच निर्णायक, एक टाइमकीपर व एक रेफरी काम करते हैं। रेफरी की भूमिका सबसे अहम होती है। पांच निर्णायकों में से सबसे कम व अधिक अंक देने वालों को छोड़कर तीन जजों के अंकों के आधार फैसला लिया जाता है। विकास यादव को भले ही रिंग में रेफरी ने कहीं कोई चेतावनी न दी हो लेकिन अमरीकी अपील के सामने जूरी ने घुटने टेक दिए और रिप्ले देखकर विकास यादव को पराजित घोषित कर दिया। मजे की बात तो यह है कि भारतीय मुक्केबाज संघ के पदाधिकारी के रूप में ब्रिगेडियर मुरलीधरन राजा, भारतीय ओलंपिक संघ के विजय कुमार मल्होत्रा लंदन में ही जमे हुए हैं जिस समय विकास को लेकर फैसला हुआ उसके बाद भी उनकी पैरवी दमदार नहीं रही। ओलंपिक के इतिहास में शायद  पहली बार ऐसा हुआ है जब रिंग पर मुक्केबाज को विजेता घोषित करने के बाद फैसला बदला गया है। हो न हो लंदन ओलंपिक के इतिहास में एक काला अध्याय अवश्य जुड़ गया है। फिक्सिींग के मकडज़ाल में कुछ खिलाड़ी व अधिकारियों के नाम उजागर हुए हैं। इस बारे में बीबीसी के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक जगदीश सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जूरी मैच में खिलाडिय़ों के अंक का दोबारा योग कर सकती है। रिप्ले देखकर निर्णय देना तर्क संगत नहीं है। यह नियमों के खिलाफ है और रेफरी का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि लंदन में अमरीकी शिकायत पर जूरी ने रिचैकिंग कर निर्णय दिया है जो किसी के गले नहीं उतर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज परमजीत समौता के पिता प्रदीप समौता का कहना है कि एक साजिश के तहत गोरों ने भारतीय मुक्केबाज को प्रतिस्पर्धा से बाहर करने का काम किया है। सुमीत सांगवान व मनोज भी गोरों की साजिश का शिकार रिंग में बने लेकिन दर्शक दीर्घा में बैठे हजारों लोगों ने प्रतिद्वंद्वियों पर करारे पंच जमाने पर इन मुक्केबाजों का तालियोंं से उत्साहवर्धन किया। परंतु जो कुछ भी लंदन ओलंपिक में इन मुक्केबाजों के साथ हुआ वह खेल भावना का अपमान है। इसके लिए लंदन ओलंपिक हमेशा याद रखा जाएगा।


1 comment:

Unknown said...

Indian authorities should take the issue seriously and put the case to the organisers. So that next time no other Indian have to face the same situation.
Earlier we used to face the same condition in cricket too, but now none can make us fool.
So first we have to be strong enough to take these challenges.