Wednesday, May 27, 2009

बिजली निगम के एआरआर में 400 करोड़ की कटौती

हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम (एचवीपीएनएल) के वार्षिक राजस्व रिपोर्ट (एआरआर) को 409 करोड़ का कट लगाकर मंजूरी मिली है। एचवीपीएनएल ने हरियाणा विद्युत नियामक आयोग 1064.51 करोड़ रुपये का एआरआर भेजा था पर इसमें से आयोग ने केवल 659.70 करोड़ रुपए को ही मंजूरी दी है। इसी प्रकार स्टेल लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) के 11.88 करोड़ के एआरआरी में से 7.80 करोड़ के बजट को मंजूरी मिली है। इसी प्रकार आयोग ने एचवीपीएनएल के बजट में 40 प्रतिशत की कटौती हो गई है। हरियाणा विद्युत नियामक आयोग के इस फैसले के खिलाफ एचवीपीएनएल पुनर्विचार याचिका डालने पर विचार कर रहा है और वहां पर भी राहत ना मिली तो ट्रिब्यूनल में भी जा सकता है। आयोग ने इस वित्त वर्ष की रिटर्न आन इक्विटी पूरी तरह से नामंजूर कर दी है। एआरआर के 14 प्रतिशत के हिसाब से यह 108 करोड़ थी। आयोग का कहना है कि जब विद्युत वितरण कंपनियां नुकसान में जा रही हैं, ऐसे में इन्हें रिटर्न आन इक्विटी देने का कोई औचित्य नहीं है। आयोग ने आय व लाभ पर 56.59 करोड़ रुपये के टैक्स को भी नामंजूर कर दिया है। आयोग ने 106 करोड़ के अन्य खर्च भी नामंजूर कर दिए हैं। कर्मचारियों के वेतन की 326.97 करोड़ की प्रस्तावित राशि के स्थान पर 286.97, छठे वेतन आयोग की सिफारिश के कारण वेतन वृद्धि की प्रस्तावित राशि 130.10 करोड़ को घटाकर 53.80 करोड़, रखरखाव खर्च की प्रस्तावित राशि को 14.62 करोड़ से घटाकर 13.70 करोड़ कर दिया है। इसी प्रकार आयोग ने एसएलडीसी के पूंजी खर्च पर ब्याज व वित्त शुल्क को 5 करोड़ से घटाकर 2 करोड़ कर दिया है। आयोग ने एचवीपीएनएल के साल 2008-09 के 740 करोड़ के प्रस्तावित एआरआर के मुकाबले केवल 540 करोड़ रुपये को ही मंजूरी दी थी, जिस पर एचवीपीएनएल ने पुनर्विचार याचिका डाली हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में एचवीपीएन के सामने कई संकट आएंगे। आयोग ने हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम के वर्ष 2009-10 के एआरआर में प्रति यूनिट 3 रुपये 89 पैसे प्रति यूनिट के दाम को घटाकर 3 रुपये 21 पैसे कर दिया है। पर उत्पादन निगम का घाटा उपभोक्ता पर सरका दिया जाता है, उस पर ज्यादा असर नहीं पड़ता।

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