Thursday, May 21, 2009

व्यवस्था से हारे आईएफएस ने ली स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

अरावली पहाड़ी क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के लिए वर्षो संघर्ष करने वाले वन संरक्षक आरपी बालवान आखिरकार लचर व्यवस्था के सामने हार गए और नौ वर्ष पूर्व ही सेवानिवृत्ति ले ली। वह कहते हैं आखिर इंसान व्यवस्था के बीच रहकर कब तक लड़ेगा, इसकी भी एक सीमा है। हालांकि उनका विश्वास है कि लोगों में जागृति आएगी तब अहसास होगा कि अरावली के साथ छेड़छाड़ कर कितनी बड़ी भूल की गई है। पर्यावरण संरक्षण के लिए अरावली को बचाना होगा। 1984 बैच के आईएफएस अधिकारी आरपी बालवान वन विभाग ज्वाइन करने से पहले परमाणु उर्जा विभाग में बतौर वैज्ञानिक काम कर चुके हैं। उनकी योग्यता को देखते हुए उन्हें मौसम विभाग में डायरेक्टर की भी जिम्मेदारी दी गई थी। ग्रामीण विकास मंत्रालय में असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल के पद पर भी वे कार्य कर चुके हैं। वन विभाग में विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने अरावली पहाड़ी क्षेत्र को बचाने समेत कई मुहिम चलाई। बालवान का मानना है कि अरावली पहाड़ी क्षेत्र का संरक्षण अति आवश्यक है इसलिए वे इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में आरपी बालवान ने स्वीकार किया कि व्यवस्था में भ्रष्टाचार जड़ तक प्रवेश कर चुका है। इस कारण वे अधिक सफल नहीं हो सके।

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