Sunday, February 1, 2009

Surajkund में सभी संस्कृतियों का mela

राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने कहा कि सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला भारतीय कला और सांस्कृतिक धरोहर की जीती जागती तस्वीर है। कला और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने वाले सैकड़ों कलाकारों को यहां साझा मंच मिलता है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक बन चुके इस मेले में शिल्पी एक जगह जुटते हैं और एक-दूसरे से रूबरू होते है, यही इसकी विशेषता है।
रविवार की सुबह 23वें सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले का उद्घाटन करने के बाद आयोजित सादे समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि इस बार मिस्त्र देश की सहभागिता से कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कला की बारीकियों को जानने का अवसर मिला है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मेले में कलाकारों के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ेगा।
प्रदेश की पर्यटन मंत्री Kiran Chaudhary ने राष्ट्रपति को प्रमुख कलाकारों की कलाकृतियों से रूबरूकराया। प्रतिभा ने थीम स्टेट के पर्यटन विभाग की तरफ से निर्मित 'अपना घर' में भील जनजाति का रहन-सहन भी देखा। यहां भूरीबाई का पांच सदस्यीय परिवार बसा है। राष्ट्रपति ने भूरीबाई के 'अपना घर' में करीब 10 मिनट बिताए और भील जनजाति की जीवनशैली की विस्तृत जानकारी ली। मेला परिसर में राष्ट्रपति एक घंटा 20 मिनट तक रहीं।
राष्ट्रपति के साथ केंद्रीय पर्यटन मंत्री अंबिका सोनी, थीम स्टेट मध्यप्रदेश के पर्यटन मंत्री तुकोजी राव पंवार, प्रदेश के शहरी विकास मंत्री एकाग्र चंद चौधरी व बिजली मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला भी उद्घाटन समारोह में शामिल हुए।
इस हस्तशिल्प मेले में 400 कलाकार भाग ले रहे है। इनमें 200 राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता, 87 राज्यस्तरीय पुरस्कार विजेता और 51 उत्कृष्टता प्रमाणपत्र लेने वाले शिल्पी शामिल है। थीम स्टेट मध्यप्रदेश से 70 शिल्पी हिस्सा ले रहे है। इस बार पाकिस्तान से कोई शिल्पी नहीं आया, लेकिन सार्क देशों के 20 शिल्पियों सहित मिस्त्र ने सहभागी देश के रूप में हिस्सा लिया है। मेले में भूटान के एक, नेपाल के पांच, थाईलैंड के आठ, श्रीलंका का एक और मिस्त्र के पांच हस्तशिल्पी अपने देश की कला का प्रदर्शन कर रहे है।

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