Friday, March 20, 2009

रेल और सड़क जाम

सरपंच की पिटाई पर एसएचओ समेत सात पुलिसकर्मियों पर केस
ईस्माइल के सरपंच सुनील की पिटाई के मामले को लेकर बृहस्पतिवार को ग्रामीण भड़क उठे। ग्रामीणों ने घंटों नेशनल हाई-वे रोके रखा और रोहतक-दिल्ली रेलवे मार्ग भी बाधित कर दिया। जनता एक्सप्रेस व पंजाब मेल घंटों खड़ी रही और कुछ अन्य गाड़ियां भी लेट हुई। उधर, ग्रामीणों के गुबार को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सांपला थाने के एसएचओ समेत सात कर्मियों को सस्पेंड कर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया। इस कार्रवाई के बाद ग्रामीणों रास्ते से हट गये। इस दौरान करीब पांच घंटे तक हंगामे की स्थिति रही और पुलिस प्रशासन की जान हलक में अटकी रही।
गौरतलब है कि मंगलवार की देर रात को एसएसओ की टीम ने इंडिका कार में सवार सरपंच व उसके साथियों को चेकिंग के लिए रोका था। इस दौरान पुलिस व सरपंच के बीच कहासुनी व हाथापाई भी हो गई थी। बुधवार को सरपंच सुनील आसपास के कई गांवों के सरपंचों को लेकर एसएसपी आलोक मित्ताल से मिला। उसका आरोप था कि एसएचओ दीपक ने अपनी टीम के साथ उसके साथ मारपीट की और गोली मारने की धमकी भी दी। एसएसपी ने मामले की जांच के आदेश एएसपी मनीष चौधरी को दिये थे। वहीं, सरपंचों ने चेतावनी दी थी कि वीरवार दोपहर 12 बजे तक आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो अंजाम ठीक नहीं होगा। बृहस्पतिवार सुबह एएसपी मनीष चौधरी छानबीन के लिए सांपला रेस्ट हाउस पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों की बात सुनने के बाद कार्रवाई का आश्वासन दे थाने का रुख किया। जहां, एसएचओ ने खुद को बे-कसूर बताते हुए कहा कि उन्होंने देर रात को चेकिंग के लिए सरपंच की गाड़ी को रोका था और इसी बाद पर महज कहासुनी हुई थी। वहीं दूसरी ओर, ग्रामीणों को काफी देर तक भी कार्रवाई के बारे में कोई सूचना नहीं मिली तो वे खफा हो ईस्माइला लौट आए और रोड जाम कर डाला। कुछ देर बाद ही अनेक ग्रामीण रेलवे ट्रैक पर भी पहुंच गये। अवरोधक डालकर उसे भी जाम कर दिया गया। उन्होंने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसकी सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया और एसडीएम समेत कई पुलिस अफसर भी ग्रामीणों को समझाने-बुझाने पहुंचे। ग्रामीण इस बात पर अड़े रहे कि एसएचओ समेत मारपीट करने वाले सातों पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए और उनको तुरंत सस्पेंड किया जाए तो ही वे रास्ते से हटेगे। काफी जद्दोजहद के बाद आखिर पुलिस प्रशासन को ग्रामीणों की जिद के आगे झुकना ही पड़ा और करीब पांच घंटे की उठापटक के बाद लोगों ने रास्ता खोल दिया।

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