Tuesday, April 28, 2009

तीन भाइयों को फांसी, पत्नियों को उम्रकैद

हिसार : एक वर्ष पूर्व बीड़ बबरान गांव में हुए तिहरे हत्याकांड में अदालत ने 23 अप्रैल को तीन भाइयों को फांसी व उनकी पत्नियों और चाचा को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में अदालत ने महिला सहित चार आरोपियों को पहले ही बरी कर दिया था। पिछले वर्ष अप्रैल माह में बीड़ बबरान गांव में जमीनी विवाद में राजबीर, उसके भाई रमेश कुमार और भाभी शकुंतला की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बिमलेश तंवर की अदालत ने तीन भाइयों आजाद सिंह उर्फ यादवेंद्र, हरजिंद्र सिंह उर्फ राजेंद्र, भूपेंद्र सिंह उर्फ भुंडा को फांसी व चार-चार हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है जबकि राजेंद्र की पत्नी बलविंदर कौर, भूपेंद्र की पत्नी राजविंदर कौर, यादविंदर उर्फ आजाद की पत्नी सुखविंदर कौर व इनके चाचा जगपाल को आजीवन कारावास व पांच-पांच हजार रुपये की सजा सुनाई है। इस मामले में अदालत ने जागीर कौर, सुखदेव, रणजीत उर्फ जीता तथा अवतार उर्फ तारी को बरी कर दिया था। बीड़ बबरान निवासी कर्मबीर सिंह ने पुलिस को बताया था कि घटना की रात वह अपने भाई राजबीर, रमेश, पत्नी शकुंतला और राजबीर की पुत्री रेणु के साथ खेत में गेहूं काट रहा था। उनके खेत के दो तरफ आजाद सिंह की जमीन लगती है तथा आजाद सिंह, भूपेंद्र व राजेंद्र के साथ उनका पुराना जमीनी विवाद चल रहा है। घटना वाले दिन उक्त तीनों अपने परिजनों जगपाल, सुखविंदर कौर, भूपेंद्र, राजेंद्र तथा तीन अन्य के साथ खेतों में आए। राजेंद्र व भूपेंद्र ने पिस्तौल से जबकि जगपाल ने बंदूक से फायरिंग की। इस पर वह जान बचाकर फरार हो गया और उक्त लोगों ने राजबीर, रमेश और शकुंतला की हत्या कर दी जबकि रेणु गंभीर रूप से घायल हो गई थी। सदर थाना पुलिस ने इस संबंध में आजाद सिंह, भूपेंद्र व राजिंद्र सिंह, तीनों की पत्नियों, चाचा जगपाल सिंह और अन्य के खिलाफ हत्या, हत्या प्रयास, तोड़-फोड़ और शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। क्या थी मामले की जड़ : मामले के अनुसार कर्मबीर के परिवार वालों ने भूपेंद्र सिंह के परिवार वालों से जमीन खरीद थी। इसके लिए भूपेंद्र सिंह परिवार को रुपये भी दे दिए लेकिन इन्होंने जमीन नाम नहीं करवाई। इस पर उन्होंने अदालत का सहारा लिया और अदालत ने भूपेंद्र सिंह के परिवार को आदेश दिया कि वह कर्मबीर के परिवार के नाम जमीन करवाए। इस आदेश के बाद इनका विवाद बढ़ गया और घटना को अंजाम दे दिया। हिसार जेल में दो भाई झूल चुके हैं फांसी : जिला अदालत के तीन दशक के फैसलों को देखा जाए तो दो भाई पहले भी केंद्रीय कारागार में फांसी पर झूल चुके हैं। वर्ष 1978 में जाखल के शक्करपुर गांव में हुई दो हत्याओं के मामले में जिला अदालत से वर्ष 1988 को दो भाइयों शक्करपुरा गांव निवासी अमरीक व जीत सिंह को फांसी की सजा हुई थी। यहां केंद्रीय कारागार में दोनों को फांसी पर लटकाया भी गया। दोनों ने जमीनी विवाद में अपने भाई व बहनोई का कत्ल कर दिया था जिसमें इनके माता-पिता सहित तीन घायल हो गए थे। इस मामले में मां-बाप ने चश्मदीद गवाह के रूप में अपने पुत्रों के खिलाफ गवाही दी और जब सुप्रीम कोर्ट से मामला निकल गया तो दोनों ने शपथ-पत्र देकर अपने बयानों को झूठा भी बताया लेकिन कोई रहम नहीं मिला।

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