Monday, May 11, 2009

गर्भ में मरी विश्व की दूसरी क्लोन कटड़ी

इस वर्ष 11 फरवरी को क्लोन कटड़ी की मौत के बाद एनडीआरआई ने मई और जून में दो क्लोन कटडि़यों को सफलतापूर्वक पैदा करने का दावा किया था। अपने इस दावे के विपरीत अब वह जून में केवल एक क्लोन कटड़ी को पैदा करेगी। संस्थान के सूत्रों के अनुसार मई में पैदा होने वाली क्लोन कटड़ी जन्म लेने से पहले ही मर गई है। लगभग दो महीने पहले ही संस्थान में भैंस का गर्भपात करके क्लोन कटड़ी को निकाला गया था। एनडीआरआई में विश्व की पहली क्लोन कटड़ी इस वर्ष 6 फरवरी को जन्मी थी, लेकिन 11 फरवरी को ही उसकी मृत्यु हो गई थी। हैंडगाइडेड क्लोनिंग तकनीक से बनाई गई पहली क्लोन कटड़ी का वजन जन्म के समय सामान्य वजन से लगभग दस किलो ज्यादा था। कटड़ी के जन्म से जुड़ी खामियों पर मंथन करते हुए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक हैंडगाइडेड क्लोनिंग तकनीक में और सुधार करने में जुट गए थे। उस समय वैज्ञानिकों ने मई में विश्व की दूसरी क्लोन कटड़ी और जून में तीसरी क्लोन कटड़ी पैदा करने का दावा किया था। क्लोन कटड़ी पैदा करने वाले वैज्ञानिकों के दल में डा. एसके सिंगला, डा. आरएस माणिक, डा. एमएस चौहान, डा. पी पल्टा, डा. आरए शाह व ए जार्ज शामिल हैं। मई में पैदा होने वाली क्लोन कटड़ी की गर्भ में दो महीने पहले मृत्यु हो गई थी। सूत्रों के अनुसार जिस भैंस में यह कटड़ी पल रही थी। उसका नंबर 5257 है। गर्भ में परिस्थितियां असामान्य होने पर भैंस का गर्भपात किया तो क्लोन कटड़ी मर चुकी थी। इस क्लोन कटड़ी का रंग भी हरा बताया जाता है। कटड़ी की मौत के मामले में संस्थान प्रबंधन व वैज्ञानिकों ने चुप्पी साधी हुई है। संस्थान के निदेशक डा. एके श्रीवास्तव से जब बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि वह आउट आफ स्टेशन हैं। सहायक निदेशक डा. एसएल गोस्वामी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे निदेशक डा. श्रीवास्तव या रजिस्ट्रार डा. रामेश्वर सिंह ही कुछ बता सकते हैं। इस शोध के वैज्ञानिक दल के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एसके सिंगला से संपर्क किया तो उन्होंने भी पल्ला झाड़ लिया।

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