Monday, August 24, 2009

अक्टूबर में महाभारत

लोक सभा चुनाव की हवा भुनाना चाहती है कांग्रेस
विधानसभा भंग, विपक्ष अपनी लडाई में जुटा
लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित हुड्डा सरकार ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया है। कैबिनेट की सिफारिश को राज्यपाल जगन्नाथ पहाडि़या ने मंजूर कर लिया और विधानसभा को भंग कर दिया। अब राज्यपाल इसकी सूचना चुनाव आयोग को भेजेंगे। हरियाणा विधानसभा का अभी छह महीने का कार्यकाल बचा हुआ था। विपक्षी दलों इनेलो, हजकां, भाजपा और बसपा ने शीघ्र चुनाव कराने का स्वागत किया है। अब चुनाव आयोग के पाले मे गेंद है कि वह हरियाणा विधानसभा के चुनाव कब कराए। माना जा रहा है कि चुनाव आयोग शीघ्र ही महाराष्ट्र व दूसरे राज्यों में होने वाले चुनाव के साथ ही हरियाणा विधानसभा के चुनाव कराने की घोषणा कर देगा। अनुमान है किaa दशहरे व दीपावली के बीच 12 या 14 अक्टूबर को मतदान होगा।

वहीं विपक्ष लोकसभा चुनाव से हार से सबक लेने की बजाय अभी भी बिल्लियों की लडाई में जुटा है। हालत यह है कि अब भाजपा ने इनेलो से अलग रह पर चलने का एलान कर दिया है। वहीं हजकां और बसपा में भी सिर फुटटोवल जारी है।

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही चर्चाएं शुरू हो गई थी कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव भी शीघ्र कराएगी, क्योंकि उसे हरियाणा में 10 में से नौ सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद लगातार शीघ्र चुनाव की चर्चा रही पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मुद्दे पर अपना मुंह नहीं खोला। 18 अगस्त को चंडीगढ़ में पार्टी की बैठक भी हुई, जिसमें हुड्डा व दूसरे नेताओं ने पार्टीजनों को चुनाव के लिए तैयार रहने का आहवान किया था। मुख्यमंत्री के संकेत के कारण नौकरशाही भी काम निपटाने में लगी थी ताकि आचार संहिता लगने से कोई काम बीच में न रह जाए। इस बीच 22August को कैबिनेट ने बैठक में प्रस्ताव पास कर विधानसभा भंग करने का एलान कर दिया। साथ ही Governor ने भी प्रस्ताव मंजूर कर लिया ।
चुनाव की घोषणा के बाद सरगर्मी तेज़ करने की बजाए भाजपा ने इनेलो से अलग रह पर चलने का एलान कर दिया है। इनेलो नेता ओमप्रकाश चौटाला और भाजपा नेता सुषमा स्वराज की दिल्ली में रविवार को विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर हुई बैठक में सहमति नहीं बन पाई. लोकसभा चुनाव में भी सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों में खींचतान हो गई थी। भाजपा अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, सोनीपत, फरीदाबाद, गुड़गांव व रोहतक सीटों पर दावा कर रही थी, पर इनेलो इसके लिए राजी नहीं था। भाजपा ने अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, फरीदाबाद व गुड़गांव सीटों के लिए एकतरफा अपने प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया था। इसका इनेलो ने काफी विरोध किया था। बाद में सोनीपत और रोहतक सीट पर काफी खींचतान हुई। आखिरकार सोनीपत सीट भाजपा और रोहतक सीट इनेलो को मिली। चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच कोई खास अच्छा तालमेल नहीं रहा। इसका ही परिणाम था कि गठबंधन एक भी सीट नहीं जीत सका ।

अब हजकां और बसपा की खींचतान क्या रंग लेगी कहा नहीं जा सकता लेकिन ऐसा जरूर है की डोमों दलों के कार्यकर्त्ता अभी भी एक-दूसरे से नहीं मिल पाये हैं। बवानी खेडा और बरवाला पर टकराव बढ़ चुका है।

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