Saturday, November 21, 2009

हरयाणवी बाला की नई उड़ान

हरियाणा की छोरी अंबिका हुड्डा ने नया इतिहास रचा है। रोहतक की अंबिका के साथ उप्र के अलीगढ़ की सीमा के साथ मिलकर सेना में पुरुषों के वर्चस्व को चुनौती दी है। सशस्त्र सेनाओं के इतिहास में पहली दफा दो महिला अफसरों को बतौर विमान पर्यवेक्षक नौसेना में शामिल किया गया। आईएनएस गरुण में भव्य परेड समारोह में रीयर एडमिरल सुधीर पिल्लई ने सब लेफ्टिनेंट सीमा रानी शर्मा और अंबिका हुड्डा को विंग्स प्रदान किए। नौसेना विमानन के 56 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब महिला अधिकारियों को मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट (एमपीए) के बेड़े में पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया है। नौसेना की पहली महिला पर्यवेक्षक बनीं सीमा और अंबिका का चयन शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के जरिए हुआ था। हरियाणा के रोहतक की रहने वाली अंबिका को पहले एसएससी पर्यवेक्षक कोर्स के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु (ट्रेनी) का तमगा भी मिला।
परेड के बाद अंबिका ने कहा, यह हमारे और हमारे माता-पिता व प्रशिक्षकों के लिए बहुत बड़ा और गौरवशाली मौका है। हम दोनों के लिए यह प्रशिक्षण मानसिक और शारीरिक लिहाज से बेहद चुनौतीपूर्ण था। लेकिन, पीछे हटने की बात कभी हमारे जेहन में नहीं आई।

मूलत: रोहतक जिले के आसन गांव का रहने वाला हुड्डा परिवार पिछले कुछ समय से Rohtak शहर की इंद्रप्रस्थ कालोनी के एक मकान में किराये पर रह रहा है। आर्मी से रिटायर्ड सूबेदार आनरेरी लेफ्टिनेंट जयकिशन हुड्डा अपनी बेटी की उपलब्धि पर फूले नहीं समा रहे हैं।खुशी से गदगद हुड्डा बताते हैं कि उनकी बेटी डोनियर जहाज कंट्रोल करेगी और आब्जर्वेशन करेगी। वह यह भी बताना नहीं भूले कि पायलट का काम तो जहाज को चलाने का है।

घर लौटीं Ambika

नौसेना की सब लेफ्टिनेंट बनने के बाद अंबिका पहली बार शनिवार शाम अपने घर आईं। दैनिक जागरण से खास बातचीत में अंबिका ने बताया कि मेरे लिए यह ग्रेट एचीवमेंट है। आर्मी-एयर फोर्स में जाने का बचपन का ख्वाब है। लेकिन, एविएशन में मौका मिलना बहुत बड़ी बात है। उसने ख्वाब से आगे पाया।अंबिका ने बताया कि एयर-फोर्स व आर्मी से इतर कभी उसने सोचा ही नहीं। हां, एविएशन में जाने के बारे में इतना नहीं सोचा था। भविष्य की योजना के बारे में पूछने पर उसने बताया कि अभी तो सारा ध्यान नई जाब पर ही रहेगा। बेस्ट के लिए हमेशा उसका प्रयास रहेगा।

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