करनाल के वैज्ञानिकों ने भैंस का पहला क्लोन पैदा कराने में सफलता प्राप्त की है, जो दुनिया में पहली बार संभव हुआ है। इससे भारत फिर 'दूध-दही की नदियों' वाला देश बन सकता है। करनाल के डेयरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा चुनौतीपूर्ण काम का 'बीड़ा' उठाया था, जिसमें वे सफल रहे। इस नई तकनीक से भैंस का पहला बच्चा पैदा हुआ, जिसकी एक सप्ताह बाद मौत हो गई। लेकिन प्रयोग और तकनीक पूरी तरह सफल रही है। अगला क्लोन अगले सप्ताह पैदा होगा।
यह पहला मौका है जब दुनिया में भैंस का क्लोन बना है। इससे पहले अमेरिका में भेड़ का क्लोन बनाया गया था और इससे जन्मी भेड़ को डाली नाम दिया गया था। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सफलता से अब ज्यादा दूध देने वाली मनमाफिक प्रजाति का शत प्रतिशत क्लोन तैयार किया जा सकता है। हरियाणा के करनाल में स्थित भारतीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के भ्रूण जैविकी केंद्र के वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग के जरिए हैंडगाइडेड क्लोनिंग तकनीक विकसित कर ली है। इसके जरिए प्रथम भैंस कटड़ी का जन्म हुआ है। पहला क्लोन बच्चा सात दिन बाद ही मर गया, लेकिन वैज्ञानिकों ने अपनी प्रौद्योगिकी का शत प्रतिशत सफल माना है। अगले सप्ताह भी कुछ भैंसें बच्चा देने वाली हैं, जिन पर उम्मीदें लगी हुई हैं।
एनडीआरआई के निदेशक डाक्टर एके श्रीवास्तव ने बताया कि छह फरवरी को क्लोन भैंस के बच्चे की पैदाइश के वक्त ही उसे न्यूमोनिया हो गया था। सिजेरियन करते समय बच्चे के फेफड़े में इन्फेक्शन होने से ऐसा हुआ। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डाक्टर मंगला राय ने कहा क्लोन के मरने से प्रौद्योगिकी की सफलता पर संदेह नहीं होना चाहिए। क्योंकि क्लोनिंग में यह सामान्य बात है। एनडीआरआई के वैज्ञानिकों की इस अनोखी ईजाद से भैंसों के गर्भाधान से जुड़ी तमाम व्यावहारिक दिक्कतें समाप्त हो जाएंगी। इन भैंसों की उत्पत्ति क्लोनिंग से होगी। उन्हें न भैंसों की जरूरत पड़ेगी और न ही परंपरागत कृत्रिम गर्भाधान की। इस तकनीक में इच्छित लिंग की भैंस पैदा की जा सकेगी।
ऐसे तैयार हुआ भैंस का क्लोन
करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के भ्रूण जैव प्रौद्योगिकी संस्थान में भैंस का क्लोन कुछ इस तरह तैयार किया गया।
पहले चरण के तहत जिस भैंस के गर्भाशय से बच्चा पैदा कराना था, उसके अंडाशय से अंडे लेकर प्रयोगशाला में सुरक्षित रखे गए और जीव रसायन क्रिया से अंडे का कवच हटा दिया गया।
दूसरे चरण में जिस उन्नत प्रजाति की भैंस को क्लोन तैयार करना था, उसके कान के छोटे से टुकड़े से ढेर सारी कोशिकाएं तैयार कर ली गईं।
तीसरे चरण के तहत प्रयोगशाला में सुरक्षित रखे गए भैंस के अंडे से कोशिका को मिलाया गया। जिससे प्रयोगशाला में भ्रूण तैयार हो गया।
चौथे चरण में अब इसे वैज्ञानिक तरीके से भैंस के गर्भाशय में रख दिया गया।
पांचवें चरण में भैंस के पहले क्लोन शिशु का जन्म हुआ। इसी तरह से कई क्लोन शिशु क्रमश: पैदा होंगे।
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