हिसार के कुल तीन हजार, 983 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में प्रतिवर्ष औसतन 352.4 मिलीमीटर बारिश का संरक्षण हो तो इससे 2 करोड़, 5 लाख, 64 हजार, 196 लोगों की एक वर्ष तक प्यास बुझाई जा सकती है
हरियाणा हो या अन्य प्रदेश, पेयजल संकट की बात करें तो यह समस्या देश में हर स्थान पर मौजूद है, लेकिन सिर्फ हिसार की एक वर्ष की बारिश के पानी को संरक्षित कर लिया जाए तो उससे एक वर्ष तक हरियाणा के लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है और वह भी मानक जल खपत के हिसाब से। यह तथ्य हिसार शहर की नगर योजना पर हो रहे एक शोध से सामने आया है। इस शोध के तथ्य को आधार बनाकर यदि हिसार के कुल तीन हजार 983 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में प्रतिवर्ष होने वाली प्रतिवर्ष औसतन 352।4 मिलीमीटर बारिश के संरक्षण की बात करें तो इससे दो करोड़, पांच लाख, 64 हजार, 196 लोगों की एक वर्ष तक प्यास बुझाई जा सकती है। डिस्टल वाटर से भी शुद्ध जमा होने वाले बरसात के इस पानी से इतने लोगों की सिर्फ प्यास ही नहीं बुझाई जा सकती, बल्कि उनके दैनिक उपयोग के लिए निर्धारित किए गए 187 लीटर पानी प्रतिदिन की आपूर्ति एक वर्ष तक की जा सकती है। दूसरी तरफ प्रदेश की जनसंख्या दो करोड़, 11 लाख, 44 हजार, 564 ही है। यदि पूरे प्रदेश में बारिश के पानी के संरक्षण की बात करें तो मात्र 9 प्रतिशत क्षेत्र में ऐसा होने से ही प्रदेशवासियों की इस समय एक वर्ष तक प्यास बुझाई जा सकती है। यह है फार्मूला एक वर्ग मीटर में यदि एक हजार मिलीमीटर (एक मीटर) बारिश हो तो एक लाख लीटर (एक घन मीटर) पानी जमा हो जाता है। हकृवि मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार हिसार में औसतन प्रतिवर्ष 352.4 मिलीमीटर बारिश होती है और हिसार का क्षेत्रफल तीन हजार, 983 वर्ग किलोमीटर (3 अरब, 98 करोड, 30 लाख वर्ग मीटर) है। इस हिसाब से हिसार में प्रतिवर्ष 1 अरब, 40 करोड़, 36 लाख, 9 हजार, 200 घन लीटर बारिश का पानी गिरता है। प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 187 लीटर मानक खपत के हिसाब से इस पानी से 7 अरब, 50 करोड़, 59 लाख, 13 हजार, 600 लोगों की जरूरत पूरी की जा सकती है। दूसरी तरफ एक वर्ष तक इसी मानक पानी की मात्रा की आपूर्ति करें तो यह दो करोड़, 5 लाख, 64 हजार, 196 लोगों के लिए पर्याप्त है। यह कर सकती है जनता इस तरह के अभियान को सिर्फ सरकार पर छोड़ देने से कुछ नहीं होगा, बल्कि जनता को इसमें सक्रिय भागीदारी करनी होगी। सबसे पहले जनता को जागरूक होना पड़ेगा। यदि दस प्रतिशत जनता ही जागरूक हो जाती है तो जनप्रतिनिधि को शत प्रतिशत जागरूक होना पड़ता है। जनप्रतिनिधि जागरूक हो जाए तो रैन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम की काफी योजनाएं आ सकती है। यही नहीं जो लोग इसे वहन कर सकते हैं, वे इसे स्वयं भी अपनाकर इसमें अपना योगदान दे सकता है। अभी तक यह है वाटर हारवेस्टिंग देश के कुछ राज्यों व महानगरों में वर्षा जल संवर्धन (रेन वाटर हारवेस्टिंग) अनिवार्य कर दी गई है। इसके तहत छतों व फर्श से पानी पाइपों द्वारा इकट्ठा करके या तो उपयोग में लाया जाता है या फिर भूमिगत जल में छोड़ दिया जाता है, जिससे भूजल स्तर सुधरता है, इसे ग्राउंड वाटर रिचार्ज भी कहते हैं। हिसार में प्रतिवर्ष होने वाली मानसून की बारिश वर्ष बारिश मिलीमीटर में 2000 122.2 2001 538.0 2002 91.7 2003 431.5 2004 186.3 2005 457.7 2006 243.7 2007 162.5 2008 376.2 औसतन 352.4 नोट : यह आंकड़ें जून, जुलाई, अगस्त व सितंबर माह में होने वाली मानसून की बारिश पर आधारित है। यह कहते हैं शोधार्थी महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से हिसार शहर की नगर योजना पर शोध करने वाले हिसार के भूगोलवेता अनुराग का कहना है कि बारिश का पानी डिस्टिल वाटर जैसा शुद्ध होता है। रेन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम को लागू करने के लिए सरकार को एक विशेष चैनल बिछानी होगी। जनता को छतों पर बारिश के पानी की निकासी वाले विशेष पाइपों को विशेष चैनल से जोड़ना पड़ेगा। इसके बाद जहां भी पानी एकत्रित किया जाए, वहां पर पानी को मामूली ट्रीट करने का प्लांट लगाकर उसे सप्लाई किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए वाटर स्टोरेज का विशेष प्रबंध करना होगा। जोहड़ की सहायता से भूमिगत जल को रिचार्ज किया सकता है। हिसार में बारिश के रिकार्ड ठ्ठ21 जुलाई, 1993 को दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक एक घंटे में सबसे ज्यादा 41.5 मिलीमीटर बारिश हुई। ठ्ठ5 अगस्त, 1985 को एक दिन में सबसे ज्यादा 182.4 मिलीमीटर बारिश हुई। ठ्ठवर्ष 1988 के 39वें सप्ताह में एक सप्ताह की सबसे ज्यादा 234.1 मिलीमीटर बारिश हुई। ठ्ठअगस्त, 1976 में एक माह की सबसे ज्यादा 365.8 मिलीमीटर बारिश हुई। ठ्ठवर्ष 1976 में मानसून की अब तक की सबसे ज्यादा 607.4 मिलीमीटर बारिश हुई. वर्ष 1997 में एक वर्ष में सबसे ज्यादा 770.3 मिलीमीटर बारिश हुई।कहां है वाटर हारवेस्टिंग
देश के कुछ राज्यों व महानगरों में वर्षा जल संवर्धन (रेन वाटर हारवेस्टिंग) अनिवार्य कर दी गई है। इसके तहत छतों व फर्श से पानी पाइपों द्वारा इकट्ठा करके या तो उपयोग में लाया जाता है या फिर भूमिगत जल में छोड़ दिया जाता है, जिससे भूजल स्तर सुधरता है, इसे ग्राउंड वाटर रिचार्ज भी कहते हैं।
क्या कर सकती है जनता
इस तरह के अभियान को सिर्फ सरकार पर छोड़ देने से कुछ नहीं होगा बल्कि जनता को इसमें सक्रिय भागीदारी करनी होगी। सबसे पहले जनता को जागरूक होना पड़ेगा। यदि दस प्रतिशत जनता ही जागरूक हो जाती है तो जनप्रतिनिधि को शत प्रतिशत जागरूक होना पड़ता है। जनप्रतिनिधि जागरूक हो जाए तो रेन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम की काफी योजनाएं आ सकती है। यही नहीं जो लोग इसे वहन कर सकते हैं, वे इसे स्वयं भी अपनाकर इसमें अपना योगदान दे सकता है।
क्या कहते हैं शोधार्थी
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से हिसार शहर की नगर योजना पर शोध करने वाले हिसार के भूगोलवेता अनुराग का कहना है कि बारिश का पानी डिस्टिल वाटर जैसा शुद्ध होता है। रेन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम को लागू करने के लिए सरकार को एक विशेष चैनल बिछानी होगी। जनता को छतों पर बारिश के पानी की निकासी वाले विशेष पाइपों को विशेष चैनल से जोडऩा पड़ेगा। इसके बाद जहां भी पानी एकत्रित किया जाए, वहां पर पानी को मामूली ट्रीट करने का प्लांट लगाकर उसे सप्लाई किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए वाटर स्टोरेज का विशेष प्रबंध करना होगा। या फिर जोहड़ की सहायता से भूमिगत जल को रिचार्ज किया सकता है।
हिसार में प्रतिवर्ष होने वाली मानसून की बारिश
वर्ष बारिश मिलीमीटर में
2000 122.2
2001 538.0
2002 91.7
2003 431.5
2004 186.3
2005 457.7
2006 243.7
2007 162.5
2008 376.2
औसतन 352.4
नोट : यह आंकड़ें जून, जुलाई, अगस्त व सितंबर माह में होने वाली मानसून की बारिश पर आधारित हैं।
हिसार में बारिश के रिकार्ड
-21 जुलाई, 1993 को दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक एक घंटे में सबसे ज्यादा 41.5 मिलीमीटर बारिश हुई।
-5 अगस्त, 1985 को एक दिन में सबसे ज्यादा 182.4 मिलीमीटर बारिश हुई।
-वर्ष 1988 के 39वें सप्ताह में एक सप्ताह की सबसे ज्यादा 234.1 मिलीमीटर बारिश हुई।
-अगस्त, 1976 में एक माह की सबसे ज्यादा 365.8 मिलीमीटर बारिश हुई।
-वर्ष 1976 में मानसून की अब तक की सबसे ज्यादा 607.4 मिलीमीटर बारिश हुई।
-वर्ष 1997 में एक वर्ष में सबसे ज्यादा 770.3 मिलीमीटर बारिश हुई।