अफसर बिजनेस क्लास में नहीं कर सकेंगे हवाई सफर
नए फर्नीचर की खरीद पर पूरी तरह पाबंदी लगाई गई
नए फर्नीचर की खरीद पर पूरी तरह पाबंदी लगाई गई
प्रदेश सरकार की लोक लुभावनी घोषणाओं का असर अब सरकार की जेब पर भारी पडऩे लगा है और इसका ही नतीजा है कि सरकार तंगहाली में दिखाई दे रही है। इसी तंगहाली के चलते सरकार को अब खर्चों में कटौती की याद आ रही है।अभी तक मजबूत आर्थिक स्थिति का दावा करने वाली सरकार ने सभी विभागों को खर्चों में कटौती के निर्देश दिए हैं।
हरियाणा में सरकारी अफसर अब बिजनेस क्लास में हवाई सफर नहीं कर पाएंगे। उन्हें साधारण श्रेणी में ही सफर करना होगा। तंगहाल सरकार की ओर से सरकारी खर्चों मे कटौती का फरमान जारी हो गया है। सोमवार को प्रदेश के वित्त विभाग के वित्तायुक्त व प्रधान सचिव ने सरकारी खर्चों में कटौती का परिपत्र (सरकूलर) जारी किया है।सभी विभागाध्यक्षों, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार, सभी मंडल आयुक्तों व आयुक्तों, निगमों व बोर्डों और विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रारों को यह परिपत्र भेजा गया है। परिपत्र के निर्देश के मुताबिक वर्ष 2009 व 10 में हर विभाग को घरेलू व अंतरराष्ट्रीय सफर के खर्च में, प्रकाशन में, पेशेवर सेवाओं में, विज्ञापन व प्रचार में, दफ्तर के खर्च में और अन्य प्रशासनिक खर्चों में पांच फीसदी की कटौती करने को कहा गया है, लेकिन यह शर्तें सुरक्षा मामलों में लागू नहीं होगी। इसी प्रकार वर्ष 2010-11 में इन्हीं मदों में पांच प्रतिशत की और कटौती करनी होगी। यानी यह कटौती बढ़कर 10 फीसदी हो जाएगी।
परिपत्र के निर्देश के मुताबिक दफ्तर के नए फर्नीचर की खरीद पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। पुरानी कंडम कार को बदले जाने की स्थिति के अलावा नई कार नहीं खरीदे जाने के निर्देश दिए गए हैं। नए पदों के अपग्रेडेशन पर पूरी तरह से पाबंदी होगी। नए पद केवल वित विभाग की मंजूरी से अपवाद के रूप में ही सृजित किए जाएंगे। कोई भी सरकारी अफसर बिजनेस क्लास में हवाई सफर नहीं कर पाएगा। परिपत्र के अनुसार दो साल से रिक्त पद केवल वित्त विभाग की मंजूरी से ही भरे जाएंगे।
राजस्व में कमी के संकेत
हरियाणा सरकार को तीन प्रमुख विभागों से राजस्व प्राप्त होता है। पहला टाउन एवं कंट्री प्लानिंग से भूमि उपयोग परिवर्तन का शुल्क, दूसरा राजस्व विभाग से स्टांप ड्यूटी और तीसरा आबकारी व कराधान विभाग से वैट, सीएसटी और शराब की बिक्री से प्राप्त राजस्व होता है।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को अक्टूबर 2008 में 943 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ जबकि उसका लक्ष्य 2900 करोड़ रुपये का था। इसके इलावा इस विभाग को 350 करोड़ रुपये का रिफंड भी देना पड़ा था।
राजस्व विभाग को 2100 रुपये करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले में 1040 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए।
आबकारी व कराधान विभाग को वैट व सीएसटी को लक्ष्य के 400 करोड़ रुपये कम प्राप्त हुए।
दूसरी तरफ, साल 2009-10 के हरियाणा सरकार के बजट में 3484 करोड़ का घाटा था, जबकि साल 2008-09 में 1414 करोड़ सरपल्स का बजट था।
1 comment:
chalo janta ke paison ki kuchh to bachat hogi
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