Bhiwani के लोहारू में बृहस्पतिवार को एक महिला को निजी अस्पताल से दुत्कार मिलने के बाद सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। सरकार द्वारा भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लाख दावे किए जा रहे हों,
लेकिन जमीनी हकीकत इस हादसे के बाद साफ़ है।
यह हालत उस प्रदेश में जहाँ प्रति व्यक्ति आय देश में गुजरात के बाद सबसे ज्यादा हैं।
लोहारू में सड़क पर प्रसव उसकी विकास की उजली तस्वीर पर कालिख पोत रहा है। निजी अस्पताल ने महिला और उसके पति प्रसव पीड़ा के दौरान ही दुत्कार कर भगा दिया और उसने आस-पड़ोस की महिलाओं की मदद से सड़क पर ही बच्चे को जन्म
गुजरात के साबरमती के रहने वाले महिपाल की पत्नी गीता देवी गर्भवती थी। कचरा बीनकर अपना गुजारा करने वाले महिपाल सिंह ने बताया कि राजस्थान के चिड़ावा कस्बे सें पुलिस प्रशासन द्वारा धकेल दिए जाने के बाद वह लोग बृहस्पतिवार को लोहारू आए थे। जहां उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो वह उसे शहर के एक निजी अस्पताल में ले गया। अस्पताल मालिक द्वारा मांगी गई राशि देने में असमर्थता जताने पर उन्हें दुत्कार दिया गया। बाद में महिपाल अपनी पत्नी को सरकारी अस्पताल ले जाने लगा तो महिला को रास्ते में ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई और वह बीच रास्ते पर ही लेट गई। पीड़ा से कराहती महिला को देख आस-पड़ोस के लोग वहां इकट्ठे हो गए तथा वहीं पर स्कूल संचालिका आरती शर्मा, उषा, कलावति व अन्य महिलाओं ने पहुंचकर बीच सड़क पर कंबल की आड़ लगाकर बच्चे का जन्म करवाया।
यह हालत तब है, जब गांव-गांव में डिलिवरी हट खोलने के दावे कर रही है लेकिन कागजी आंकडे पुरे करने की जल्दी उसे विकास की मैली तस्वीर शायद दिखाई नही दे रही।
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