पांच हजार वर्ष पूर्व विकसित हड़प्पाकालीन सभ्यता को समेटे 'दक्ष खेड़ा' में नए इतिहास की परतें खुल रही है। पुरात्ववेताओं ने नार्थ इंडिया का हड़प्पाकालीन सबसे बड़ा कब्रिस्तान खोजा है।
शोध में लगे महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक एवं डेक्कन कालेज विश्व विश्वविद्यालय, पुणे तथा Huminity Research Institute क्योटा के शोधार्थियों ने उत्कृष्ट प्राचीन सभ्यता के अलावा आरंभिक हड़प्पाकालीन सभ्यता का नार्थ इंडिया में सबसे बड़ा कब्रिस्तान खोजने में सफलता पाई है।
महम खंड के बड़े गांव फरमाणा में दक्ष खेड़ा के नाम से प्रदेश भर में विख्यात एक भूखंड प्राचीन इतिहास की परतें खोल रहा है। पुरातत्व दक्ष खेड़ा के पास जहां पांच हजार साल से अधिक पूर्व की आरंभिक हड़प्पाकालीन सभ्यता का नगर विकसित था। वहीं इससे कुछ ही दूरी पर उक्त प्राचीन सभ्यता को समेटे विशाल नगर के अस्तित्व को सार्थक करता विशाल कब्रिस्तान भी है। कब्रिस्तान मिलने के बाद प्राचीन इतिहास की समृद्धि की खोजबीन में लगे शोधार्थी ने बताया कि दक्ष खेड़ा के विशाल नगर का यह कब्रिस्तान नार्थ इंडिया में हड़प्पाकालीन सभ्यता का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है। लगभग तीन हेक्टेयर में फैले इस कब्रिस्तान से ही दक्ष खेड़ा पर विकसित विशाल नगर की भव्यता व संपन्नता का अंदाजा लगाया जा सकता है। उत्खनन के दौरान इस विशाल कब्रिस्तान में अब तक 68 लोगों की कब्रें मिल चुकी हैं और संभावनाओं के चलते उत्खनन जारी है। खास बात यह है कि लाश के साथ मिलने वाले मिट्टी के बर्तन एवं अन्य सामान से मरने वाले की आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। कब्र में लाश के साथ मिलने वाले छोटे व कम मिट्टी बर्तन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग व्यक्ति की पहचान कराते है जबकि बड़े व अधिक बर्तन व अन्य धातु की वस्तुएं संभवत: आर्थिक संपन्नता का परिचायक है। उत्खनन से आरंभिक हड़प्पाकालीन नगर की सुव्यवस्था सामने आई है जो वर्तमान में हुडा आदि द्वारा बनाये जा रहे सेक्टरों को भी मात दे रही है। विशाल चौराहे व लंबी चौड़ी समांतर गलियां तत्कालीन इतिहास की संपन्नता का विस्तृत अवलोकन कराने में समर्थ है।
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