करनाल में आढ़तियों द्वारा की गई जालसाजी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। आढ़तियों की जालसाजी के कारण खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने धान पर दिया जाने वाला करीब साढ़े तेरह करोड़ रुपये का बोनस रोक दिया है। जिला खाद्य व पूर्ति नियंत्रक एनके मित्तल का कहना है कि किसानों को पिछले साल का बोनस न मिलने के कारण यह कदम उठाया गया है।
सरकार ने पिछले वर्ष धान पर किसानों को करीब 10 करोड़ रुपये बोनस दिए थे। जबकि इस वर्ष 50 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से धान पर करीब नौ करोड़ रुपये बोनस के रूप में दिया जाना है। पिछले वर्ष का बोनस न मिलने पर कुछ किसानों ने खाद्य-आपूर्ति विभाग को शिकायत की थी। शिकायत मिलने पर विभाग ने तीन इंस्पेक्टरों की टीम बनाकर जिले के गांव कालरम, कुटेल, घोघड़ीपुर, नरूखेड़ी व बड़ौता में जाकर जांच-पड़ताल की तथा किसानों के बयान दर्ज किए। किसानों के बयान दर्ज करने के बाद विभाग ने घरौंडा के आढ़ती सुरेद्र गुप्ता, रामकुमार गुप्ता व करनाल के गजे सिंह के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाया था।
डीएफएससी एनके मित्तल के अनुसार किसानों ने आरोप लगाया है कि आढ़तियों ने फर्जी हस्ताक्षर कर उनका बोनस हड़प लिया है। किसानों से बनवाई गई रसीद पर हस्ताक्षरों का मिलान किया जा रहा है। इन हस्ताक्षरों की जांच एफएसएल मधुबन में भी करवाई जाएगी।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रतन मान ने कहा कि जब बोनस की घोषणा हुई थी तो भाकियू ने प्रदेश सरकार से सीधे किसानों को चेक दिए जाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने चेक व्यापारियों के हाथ में थमा दिए।
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