सीएम की कुर्सी या कांटों का ताज
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सिर पर दूसरी बार मुख्यमंत्री का ताज रखा गया। राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिय़ा ने रविवार शाम उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उन्हें बहुमत साबित करने के लिए सात दिन का वक्त दिया गया है। पर इस बार मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी कांटों के ताज से कम नहीं है। निर्दलियों के समर्थन से चलने वाली अल्पमत सरकार को घेरने का विपक्ष कोई मौका नहीं चूकेगा। वहीं सहयोगी दलों से तालमेल बनाए रखना भी हुड्डा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। नवनिर्वाचित विधानसभा का पहला सत्र 28 व 29 अक्टूबर को होगा, जिसमें हुड्डा बहुमत साबित करेंगे। इसी बीच हजकां ने भी सरकार को समर्थन देने का फैसला कर लिया है। समर्थन की शर्तें क्या होंगी यह अभी तय नहीं हैं।
रविवार को राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिय़ा ने हरियाणा राजभवन में आयोजित समारोह में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री के पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। हुड्डा ने कांग्रेस पार्टी के तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों, हरियाणा मामलों के प्रभारी एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, कांग्रेस के महासचिव बीके हरि प्रसाद और मोहसिना किदवई की उपस्थिति में हिंदी में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।
सात निर्दलियों व बसपा के एक विधायक के बाद हजकां के समर्थन से सरकार को कुछ स्थायीत्व मिल गया है। शपथ ग्रहण समारोह में हुड्डा ने अकेले शपथ ग्रहण की। कहा जा रहा है कि आलाकमान से विचार-विमर्श के बाद वह जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। इसके अलावा कांग्रेस के सभी गुटों को खुश करने और हजकां और निर्दलियों को भी संतुष्ट करना भी चुनौती से कम नहीं है। प्रदेश में कुल 14 मंत्री बन सकते हैं और सभी निर्दलीय मंत्री पद पाने की जोड़-तोड़ में हैं। इनेलो के संपर्क में पूर्व से रहे तीन निर्दलियों को तो पहले विस्तार में मंत्री पद हर हाल में देना ही होगा। इसके अलावा रोहतक, झज्जर व सोनीपत से बाहर अपने प्रभाव का विस्तार करना भी हुड्डा के लिए चुनौती से कम नहीं है। इन चुनावों में एक बार फिर हुड्डा और कांग्रेस इन्हीं जिलों में सिमटते नजर आए।
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