सात निर्दलीय विधायकों व एक बसपा विधायक के सहारे बुधवार को कांग्रेस ने सदन में अपना बहुमत साबित कर दिया। 90 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा रखे गए विश्वास प्रस्ताव को 47 विधायकों ने पहले तो ध्वनिमत से फिर मांग आने पर खड़े होकर अपना समर्थन दिया। इस तरह हुड्डा ने अपनी पहली अग्नि परीक्षा पास कर ली है।
इधर हजकां के छह विधायक शपथ लेने के बाद विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के बीच सदन से चले गए और लौट कर नहीं आए। यानि विश्वास मत के दौरान वे सदन में नहीं थे। हजकां विधायक दल के नेता कुलदीप बिश्नोई ने फोन पर बताया कि अभी हमारे सभी विकल्प खुले है। हम सरकार को भी समर्थन कर सकते है, इनेलो को भी और विपक्ष में भी बैठ सकते है। उन्होंने कहा कि समर्थन देने की हमारी कोई शर्त नहीं है हम केवल चाहते है कि जो वायदे चुनाव में हमने जनता से किए हैं वे पूरे हों।
विधानसभा चुनाव में कांग्र्रेस को 40, इनेलो-अकाली दल को 32, हजकां को छह, भाजपा को चार, निर्दलीय सात और बसपा को एक सीट मिली थी। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बहुमत के लिए 46 विधायकों का साथ चाहिए, क्योंकि चौटाला दो सीटों से जीते थे इसलिए सदन 89 सदस्यों का रह जाता है। इसलिए बहुमत के लिए 45 विधायक चाहिए थे, पर कांग्रेस ने 47 विधायकों के साथ बहुमत पेश कर दिया। राज्यपाल ने बड़ा दल होने के नाते कांग्रेस को बहुमत साबित करने के लिए सप्ताह का वक्त दिया था।
वैसे जरूरत पड़ती तो विधानसभा अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह चïट्ठा भी कांग्रेस के पक्ष में वोट कर सकते थे। इस प्रकार कांग्रेस के पास इस समय 48 का आंकड़ा है। विश्वास मत पर इनेलो विधायक दल और सत्ता पक्ष के बीच करीब एक घंटा बहस चलती रही। बीच-बीच में भाजपा के अनिल विज व कृष्णपाल गुज्जर भी बोलते रहे। शोर शराबे में विश्वास मत पर बहस नहीं हो पाई। आखिर में वोटिंग हो गई। चौटाला और भाजपा सदन को और दो-तीन दिन चलाने की मांग कर रहे थे। अंत में चौटाला ने वाटिंग की मांग की और उसे स्वीकार कर लिया गया।
कौन-कौन हैं साथ
कौन-कौन हैं साथ
कांग्रेस के 40 विधायकों के अलावा निर्दलीय विधायक प्रह्लïाद सिंह गिल्ला खेड़ा, गोपाल कांडा, सुखबीर कटारिया, जलेब खान, ओम प्रकाश जैन, सुलतान जडौला, शिवचरण शर्मा और बसपा विधायक अकरम खान ने सरकार के पक्ष में मतदान किया।
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