रविंद्र हाईकोर्ट से सभी मामले वापस ले, तभी दादा व अन्य को मिलेगी राहत
रविंद्र, शिल्पा का आजीवन गांव में प्रवेश निषेध
रविंद्र के पिता को भी जाना होगा, एक माह बाद दोबारा करें राहत की अपील
कादियान खाप अपनी चौधर को साबित करने के लिए ढराणा से बेदखल गहलोत परिवारों को खून के आंसू रुलवा रही है। खाप की नई-नई बेतुकी शर्तों के कारण विवाद लंबा खिंचता जा रहा है और पीडि़तों को गांव छोडऩे की सलाह देने वाला प्रशासन भी कुछ करने का साहस नहीं जुटा पा रहा है।यही वजह है कि खाप के हौसले बुलंद हैं और हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद गहलोत परिवारों की सुरक्षा की चिंता किसी को नहीं है। इतना ही नहीं पुलिस व पत्रकारों पर हमला करने वाले एक भी 'पंचायती की गिरफ्तारी का साहस पुलिस नहीं जुटा पाई है।रविवार को कादियान खाप की बैठक में पंचायत दादागिरी पर अड़ी है। अब उसने हाईकोर्ट में लंबित मामले भी वापस लेने की नई शर्त जोड़ दी है। रविवार को स्थानीय सर छोटूराम धर्मशाला में हुई पंचायत में अन्य खापों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया, लेकिन कादियान खाप के प्रतिनिधियों की जिद के कारण कोई फैसला नहीं हो पाया। ऐसे में भय के साए में जी रहे पीडि़त परिवार ने आखिरकार प्रशासन से गांव में बसाने की गुहार करने का निर्णय किया है। यदि प्रशासन परिवार को दोबारा गांव में बसाने में सहयोग नहीं करता है तो पीडि़त हाईकोर्ट की शरण ले सकते हैं।पहले यह बैठक बेरी में होनी थी लेकिन कादियान खाप ने इसे झज्जर की सर छोटूराम धर्मशाला में स्थानांतरित कर दिया गया। कादियान बारहा खाप के प्रधान छतर सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में अहलावत सताईस खाप के प्रधान जय सिंह, पालम 360 खाप के प्रधान रत्न सिंह, आनंद सिंह अहलावत के अलावा अन्य कई खापों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सूत्रों के अनुसार बैठक में कादियान खाप ने रविंद्र द्वारा हाईकोर्ट में दायर किए गए सभी मामलों को वापस लेने के बाद ही रविंद्र के दादा रिसाल सिंह व उसके चाचा नसीब व वेदप्रकाश को गांव में प्रवेश करने की इजाजत देने की शर्त अड़ा दी। इतना ही नहीं कादियान खाप द्वारा सभी मामलों को वापस लेने के बाद भी रविंद्र के पिता रोहतास को गांव से बाहर रहने तथा दोबारा खाप के सामने अपील करने के बाद उसके गांव में रहने पर विचार-विमर्श की बात कही गई। कादियान खाप के लोगों ने सभी मुकदमे वापिस लेने के माहभर बाद पीडि़त रोहतास की ओर से गांव में बसने के लिए अपील करने की बात कही। कादियान खाप की ओर से रविंद्र व उसकी पत्नी शिल्पा को आजीवन गांव में प्रवेश न करने की शर्त भी रखी गई है।रविंद्र व शिल्पा के गांव में प्रवेश न करने को लेकर पीडि़त परिवार की ओर से सहमति जता दी गई थी लेकिन कादियान खाप की अन्य कड़ी शर्तों को देखते हुए लगभग पांच घंटे चली इस पंचायत में कोई भी निर्णय नहीं हो पाया। बैठक में रोहतास को गांव में गुजर-बसर करने के लिए स्पष्टï आश्वासन भी नहीं दिया गया। इसके कारण पांच घंटे से ज्यादा समय चली पंचायत बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई। इस संबंध में इतना ही कहा जा सकता है कि मामले को लेकर कम हुआ तनाव फिर से पैदा हो सकता है, क्योंकि पीडि़त परिवार ने एक बार फिर गांव में बसने के लिए प्रशासन से गुहार लगाने का निर्णय किया है। ऐसे में यदि प्रशासन पीडि़त परिवार को गांव ढराणा में वापस पहुंचाता है तो उसे कादियान खाप के कोपभाजन का शिकार होना पड़ेगा, जो शायद न तो सरकार चाहती है और न ही प्रशासन।
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