Kaithal : पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण गांव Pollad को ग्रामीणों से खाली कराने के लिए पुरातत्व विभाग ने एक बार फिर कमर कस ली है। इसके लिए जारी नोटिस से लोग परेशान हैं और किसी कीमत पर गांव खाली नहीं करने पर अड़े हुए हैं। गांव के सरपंच व उप-सरपंच को विभाग की ओर से मिले नोटिस के अनुसार 25 मई को पुरातत्व विभाग से संबंधित भूमि की चारदीवारी का काम शुरू किया जाएगा। यह काम सब सर्कल इंचार्ज (हिसार) बीबी कौल की देखरेख में होगा। विभाग ने उपायुक्त से भी पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का अनुरोध किया है। नोटिस में चेताया गया है कि जमीन के चारों और चारदीवारी बनाने के कार्य में बाधा डालने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पोलड़ में पुरातत्व विभाग की 47 एकड़ 3 कनाल 1 मरला भूमि की निशानदेही 9 नवंबर 2005 को की गई थी। दूसरी तरफ, ग्रामीणों ने कहा है कि पुरातत्व विभाग के इस कदम का पुरजोर विरोध करेंगे और मरते दम तक पोलड़ को खाली नहीं करेंगे।
इससे अच्छा हमें पाकिस्तान भेज दो
सीवन (कैथल) : पाकिस्तान से उजड़ने के बाद पोलड़ गांव ने हमें आसरा दिया था। अब हमें यहां से भी उजाड़ा जा रहा है। आखिर हम जाएं तो कहां जाएं। अगर सरकार गांव को उजाड़ना ही चाहती है तो फिर हमें वापस पाकिस्तान भेज दें। यह कहना है पोलड़ गांव के लोगों का, जिन्हें गांव खाली करने का नोटिस मिल चुका है। पुरातत्व विभाग ने गांव खाली करने के लिए 25 मई की तारीख तय की है।
गांव खाली करने की तारीख तय होने के बाद यहां के बाशिंदे यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे क्या करें। इस आदेश के बाद से ही गांव में खामोशी छाई है। गांव के नरेंद्र कौर, विमल, सुरेंद्र, बचन, करतार, किशन, बलदेव, गुरनाम और पाला सिंह अपने भविष्य के बारे में सोच कर चिंतित हैं।
उनका कहना है कि उन्होंने अपने खून-पसीने की कमाई से यहां अपना आशियाना बनाया और अब उसी को ढहाने की तैयारी चल रही है। अगर सरकार उनके बारे में कुछ नहीं सोच सकती तो फिर उनकी एक ही मांग है कि उन्हें फिर से वापस पाकिस्तान भेज दिया जाए।
गौरतलब है कि पुरातत्व विभाग की 47 एकड़ 3 कनाल एक मरला जमीन पर हुए कब्जों को छुड़वाने के लिए पंजाब के मुंशी राम ने लगभग 5 वर्ष पूर्व हाईकोर्ट में अपील की थी। उस पर अमल करते हुए कोर्ट ने गांव के 580 लोगों को गांव खाली करने का नोटिस भेजा था। शुरुआत में ग्रामीणों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और न ही पुरातत्व विभाग ने इन्हें मकानों का निर्माण करने से रोका।
तीन बार हो चुकी है खुदाई : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने महाभारत व वैदिक कालीन अवशेषों को खोजने के लिए गांव में तीन बार (1888, 1933 और 1938) खुदाई करवाई लेकिन विभाग को उस दौरान पोलड़ गांव में कुछ नही मिला था।
तमाम सरकारी सुविधाएं हैं गांव में : पाकिस्तान से उजड़कर आए लोगों ने जब पोलड़ गांव बसाया तो सरकार ने यहां स्कूल, जलापूर्ति, ओढ़-राजपूत चौपाल, श्मशान भूमि, सरस्वती मंदिर, पीर की मजार, गुरुद्वारा, तालाब, बस शेल्टर बनाने तथा गलियों और नालियों को पक्का कराने के लिए करोड़ों रुपए की ग्रांट दी थी।
गांव खाली करने की तारीख तय होने के बाद यहां के बाशिंदे यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे क्या करें। इस आदेश के बाद से ही गांव में खामोशी छाई है। गांव के नरेंद्र कौर, विमल, सुरेंद्र, बचन, करतार, किशन, बलदेव, गुरनाम और पाला सिंह अपने भविष्य के बारे में सोच कर चिंतित हैं।
उनका कहना है कि उन्होंने अपने खून-पसीने की कमाई से यहां अपना आशियाना बनाया और अब उसी को ढहाने की तैयारी चल रही है। अगर सरकार उनके बारे में कुछ नहीं सोच सकती तो फिर उनकी एक ही मांग है कि उन्हें फिर से वापस पाकिस्तान भेज दिया जाए।
गौरतलब है कि पुरातत्व विभाग की 47 एकड़ 3 कनाल एक मरला जमीन पर हुए कब्जों को छुड़वाने के लिए पंजाब के मुंशी राम ने लगभग 5 वर्ष पूर्व हाईकोर्ट में अपील की थी। उस पर अमल करते हुए कोर्ट ने गांव के 580 लोगों को गांव खाली करने का नोटिस भेजा था। शुरुआत में ग्रामीणों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और न ही पुरातत्व विभाग ने इन्हें मकानों का निर्माण करने से रोका।
तीन बार हो चुकी है खुदाई : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने महाभारत व वैदिक कालीन अवशेषों को खोजने के लिए गांव में तीन बार (1888, 1933 और 1938) खुदाई करवाई लेकिन विभाग को उस दौरान पोलड़ गांव में कुछ नही मिला था।
तमाम सरकारी सुविधाएं हैं गांव में : पाकिस्तान से उजड़कर आए लोगों ने जब पोलड़ गांव बसाया तो सरकार ने यहां स्कूल, जलापूर्ति, ओढ़-राजपूत चौपाल, श्मशान भूमि, सरस्वती मंदिर, पीर की मजार, गुरुद्वारा, तालाब, बस शेल्टर बनाने तथा गलियों और नालियों को पक्का कराने के लिए करोड़ों रुपए की ग्रांट दी थी।
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