लगता है पुलिस की गोली भिवानीवासियों का नसीब बन चुकी है। कभी किसान आन्दोलन में और कभी बदमाशों की तलाश के नाम पर जिले के वाशिंदे पुलिसकर्मियों की निर्मम गोली के शिकार बनते हैं। चार दशक से हरियाणा की राजनीती के केन्द्र में रहने के बावजूद राजस्थान की सीमा से सटेहरियाणा के इस जिले में आज भी विकास उस गति से नहीं हो पाया जिसके लिए हरियाणा जाना जाता है। अपनी समस्या के लिए इन भोले भाले लोगों ने अपनी मांग के लिए जब भी आवाज उठाई, बदले में इन्हें पुलिस की गोली ही मिली। हाँ, राजनेता भी इनके भोलेपन का फायदा उठाकर इन्हें बलि का बकरा बना रहे हैं।
मंडियाली कांड :
कादमा कांड :
एनकाउंटर में छात्रा की मौत:
फर्जी एनकाउंटर : 2008 में दो बेकसूर लोग बेवजह पुलिस के फर्जी एनकाउंटर का शिकार हुए।
June में तोशाम के पास युवक महेंदर को पुलिस ने बदमाश समझ गोली मार दी।
October में पुलिस ने रात को दोस्तों संग शादी से लौट रहे छात्र की हत्या कर दी।
खरक में फायरिंग : भिवानी जिले के गांव खरक में दो लोगों की मौत पर पुलिस की ढिलाई का विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस ने फायरिंग कर दी। दो लोगों की मौत हो गई और 50के करीब लोग घायल हो गए।
हर बार पुलिस की निर्ममता का विरोध हुआ और आन्दोलन हुए। हर बार जांच भी शुरू हुई पर आज तक किसी को नहीं पता की इस जांच ने किसे दोषी ठहराया। किसी को सजा नहीं मिली। राजनेताओं की चुनावी रोटियां सेंकी गई, मरने वाले जान से गए। पर आज भी पुलिस उसी अंदाज़ में (या उससे भी खतरनाक) बेगुनाहों को निशाना बना रही है। अब बेचारी जनता किसका दरवाजा खटखटाए।
जिले का बड़ा हिस्सा रेतीला होने के कारण खेती के लिए बेहतर नहीं खा जा सकता। शायद यही वजह है कि यहाँ कोई खास उद्योग पनप नहीं पाया। एक समय टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए जाने वाले इस जिले में अब अधिकतर उद्योग बंद राजनितिक निष्क्रियता के कारण बंद हो चुके हैं।
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